ताम्बूली .

जिस तरह से
ताम्बूल पर
सही मात्रा में
लगाना पड़ता है
कत्था - चूना
और डालना पड़ता है
मिठास के लिए
थोड़ा गुलकंद ,
सुगंध के लिए
कुछ इलायची
और तभी
खाने वाला
आनंद लेता है
बिना मुँह कटे
पान का और
रच जाता है मुँह
लाल रंग से .
उसी तरह से
रिश्तों को पान सा
सहेजने के लिए
बनना चाहिए
ताम्बूली .

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